बिहार विधानसभा और देश के विभिन्न हिस्सों में हुए उपचुनाव भाजपा के लिए केवल एक राज्य की सत्ता तक सीमित नहीं रहे, बल्कि उसने पार्टी को देशभर में मजबूत किया है। भाजपा और केंद्र सरकार कोरोना महामारी के दौरान आई दिक्कतों, महंगाई और रोजगार जैसे मुद्दों के साथ चीन के साथ चल रहे विवाद पर विपक्ष के निशाने पर थी। विपक्ष ने इन मुद्दों को भी चुनाव में जमकर उठाया भी था, लेकिन चुनावी सफलता ने उनकी धार कुंद कर दी। इन नतीजों ने भाजपा व केंद्र सरकार को और मजबूत किया है। उसे सबसे पहला लाभ संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में मिलेगा।
कोरोना, महंगाई, रोजगार, चीन के मुद्दो पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहे विपक्ष के सुर अब नरम पड़े हैं। दूसरी तरफ सत्तापक्ष हावी रह सकता है। इस बीच राज्यसभा के आंकड़े भी बदले है और भाजपा और मजबूत एवं कांग्रेस कमजोर हुई है। इन चुनावों के पहले भाजपा नेतृत्व वाले राजग को लेकर भी संशय था। क्योंकि बीते एक साल में उससे दो पुराने सहयोगी शिवसेना और अकाली दल अलग हो चुके थे। इसके अलावा लोजपा बिहार में गठबंधन के खिलाफ ताल ठोक कर खड़ी थी। रामविलास पासवान के निधन के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में गैर राजग दलों का प्रतिनिधित्व समाप्त हो गया था। लेकिन बिहार के चुनाव नतीजों ने उसके जद(यू) और दो नए दलों के साथ गठबंधन पर मुहर लगाई। दूसरी तरफ देश भर में भाजपा को मजबूत किया।
अपनी मजबूती पर जोर देगी भाजपा :
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा मुख्यालय में ‘धन्यवाद बिहार’ कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं को संबोधित करने पहुंचे तब उनके तेवरों से साफ था कि भाजपा आने वाले चुनाव में आक्रमक रहेगी। भाजपा के प्रमुख नेता के कहा कि अब हमारा पूरा फोकस अपनी मजबूती पर रहेगा। विपक्षी हमलों व आरोपों को जब देश की जनता ही अहमियत नहीं दे रही है तो हमें भी उसे ज्यादा तवज्जो देने की जरूरत नहीं है।
भाजपा के साथ विपक्ष के लिए भी अहम पश्चिम बंगाल :
भाजपा को अगली बड़ी लड़ाई पश्चिम बंगाल में है, जहां की राजनीति रक्त रंजित रही है। यहां भाजपा अपने कई कार्यकर्ताओं की राजनीतिक हत्या का आरोप भी लगा चुकी है। ऐसे में वहां पर संघर्ष तेज होगा। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने साफ कर दिया कि हत्या की राजनीति से मत नहीं बदले जा सकते हैं। विपक्ष के लिए भी बंगाल अब महत्वपूर्ण होगा क्योंकि अगर उसका वह गढ़ रहता है तो भाजपा बेहद मजबूत हो जाएगी।