सर्दियों का मौसम खुशनुमा होता है। न गर्मी, न पसीने की चिप चिप, न नमी न कीचड़। इस खुशनुमा मौसम में गुनगुनी धूप में बैठने का आनंद। लेकिन, यह मौसम अपने साथ सेहत की कई परेशानियां भी लेकर आता है। खासतौर पर बुजुर्गों के लिए। या यूं भी कहा जा सकता है कि सर्दियां उम्र का अर्धशतक पूरा कर लेने वाले हर व्यक्ति के लिए थोड़ी चुनौती बढ़ा देती हैं।
सर्दियों में हार्ट अटैक के मामले सबसे ज्यादा होते हैं, जिसकी वजह ज्यादा ठंड होने के साथ-साथ जीवनशैली में बदलाव भी हो सकता है। विभिन्न स्टडीज़ से पता चलता है कि दिल के दौरे का खतरा सर्दियों में 50 फ़ीसदी बढ़ जाता है। ठंड का मौसम हमारे शरीर की गर्मी चुरा लेता है और शरीर को अपने तापमान को संतुलित बनाए रखने के लिए वातावरण से लड़ना पड़ता है। विशेष रूप से बुजुर्गों को, जिनके शरीर में फैट की परत पतली हो जाती है और तापक्रम को महसूस करने की क्षमता घट जाती है। इसके अलावा वह सभी लोग जो ह्रदय संबंधी बीमारियों से ग्रसित हैं उनके लिए सर्दियों का मौसम दिल का दुश्मन साबित हो सकता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने यह निष्कर्ष निकाला है कि सर्दियों में खुद को गर्म रखकर आप
अपने हार्ट की देखभाल कर सकते हैं।
व्यायाम या शारीरिक गतिविधि का कम हो जाना – सर्दियों में ज्यादा ठंड होने के कारण बाहर कम निकल पाते हैं और लोग कंबल या बिस्तर में बैठकर समय ज्यादा गुजारते हैं, जबकि शरीर को गर्म रखने के लिए और हार्ट को एक्टिव रखने के लिए व्यायाम, पैदल चलना और वर्कआउट जरूरी है। जब ठंड बढ़ती है, तो व्यायाम शरीर को गर्म रखने के अलावा दिल को मजबूत बनाता है। हृदय रोग विशेषज्ञों का कहना है कि हर समय एक्टिव रहने से हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है।
क्या करें- फोन पर बात करते समय कमरे के अंदर या बाहर टहलें। गाड़ी को ऑफिस से दूर पार्क करें, ताकि पैदल चल सकें। ऑफिस में काम करते समय हर घंटे खड़े होकर 1 मिनट के लिए बॉडी और पैरों को स्ट्रेच करें। सुबह धूप निकलने के बाद एक या 2 किलोमीटर टहल आएं।
नींद कम होना या अच्छी नींद न लेना
कम सोना और अच्छी नींद ना सोना भी दिल के लिए अच्छा नहीं होता है। गहरी नींद हमारे हार्ट और ब्लड वैसल्स को रिपेयर करती हैं। नींद के घंटे कम हो या जरूरत से ज्यादा दोनों ही स्थितियों में शरीर को नुकसान होता है। साथ ही सोने वाले कमरे का तापमान भी कम नहीं होना चाहिए नहीं तो यह आपकी नींद में बाधा बनता ही है और दिल की धमनियां भी सिकुड़ आ सकती है।
क्या करें – कमरे का तापमान कम से कम 15 से 19 डिग्री सेल्सियस रखें। नेशनल स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक 7-8 घंटे की नींद स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है। इसलिए इससे कम भी ना सोएं और ज्यादा तो हरगिज नहीं।
स्ट्रेस लेवल का बढ़ना
स्ट्रेस लेवल का बढ़ना हार्ट अटैक का एक मुख्य कारण होता है। सर्दियों में छुट्टियां होने से बाहर घूमने जाने के सारे इंतजाम और बुजुर्गों का घर में अकेले पड़ जाने जैसी बातें भी स्ट्रेस लेवल को बढ़ा देती हैं। स्ट्रेस लेवल बढ़ने से कॉर्टिसोल एड्रीनलीन जैसे स्ट्रेस हार्मोन खून में बढ़ जाते हैं। साथ ही शरीर के लिए नुकसानदायक प्रोटीन साइटोकींस बनने लगता है जो ह्रदय की धमनियों को सख्त कर देता है। जिससे हॉट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
क्या करें – स्ट्रेस लेवल बढ़ने के सही कारण को पहचानें और उसको दूर करें। बुजुर्गों को अकेला न छोड़ें। अगर अकेले हों तो किसी को साथ में रहने को बुलाएं मनपसंद टीवी प्रोग्राम देखें। योगा और मेडिटेशन से स्ट्रेस को कंट्रोल करें।
फ्लू या सर्दी जुकाम होना
सर्दियों के मौसम में फ्लू का वायरस तेजी से फैलता है और यह आसानी से एक दूसरे के संपर्क में आने से बढ़ने लगता है। आश्चर्य की बात है फ्लू से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
क्या करें – मौसम की शुरुआत में ही फ्लू का वैक्सीन लें। इसके अलावा बचाव करना भी उतना ही जरूरी है। पब्लिक प्लेस पर नाक मुंह को ढक कर रखें हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं। सार्वजनिक जगहों पर नाक मुंह पर हाथ रखने से बचें। छींकते और खांसते समय टिशू पेपर इस्तेमाल करें और उसके बाद उसे तुरंत फेंक दे फ्लू होने पर घर पर रहें। दवाई लें और आराम करें।
मुश्किल हालात में काम करना
यदि किसी व्यक्ति को पहले से ही कोई दिल की बीमारी या हार्ट अटैक अनुभव हो चुका है तो उसे खतरों से परिचित होना ही चाहिए। शारीरिक क्षमता की एक सीमा है। अपनी क्षमता के विपरीत काम करना हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा देता है।
क्या करें – कमरे के बाहर ठंडे तापमान में गर्म कपड़े पहन कर ही जाएं। मेहनत का कोई भी काम करने से पहले शरीर को गर्म करें या वार्म अप करें। ज्यादा ठंड में बाहर ना जाएं तो बेहतर। जैसे- सुबह-सुबह चलना, बर्फ में खेलना, तेज ठंड में टू-व्हीलर चलाना आदि। चूंकि अधिक ठंड से शरीर में रक्त के थक्के बनते हैं और गाढ़ा होने की प्रवृत्ति पाई जाती है इसलिए शरीर को हाइड्रेट रखें और पर्याप्त पानी पीना जरूरी है।
खानपान पर ध्यान दें
सर्दियों के मौसम में पार्टियां और कई किस्म के फेस्टिवल होते हैं जिनमें अल्कोहल का सेवन आम प्रचलन है। अल्कोहल ज्यादा लेने से आपको अंदर से गर्माहट महसूस होती है और बाहर के ठंडे तापमान का अंदाजा नहीं हो पाता। जिससे ठंड में ज्यादा बाहर रहने से धमनियां सिकुड़ जाती हैं खून का दौरा कम या तेज हो जाता है स्ट्रोक और हार्ट अटैक की संभावना 80 फ़ीसदी तक बढ़ जाती है।
क्या करें – तय सीमा से अधिक अल्कोहल न लें। लेयर्स (परतों) में कपड़े पहनें। पतली लेयर या गर्म इनरवेयर जरूर पहनें। गर्मी महसूस होने पर एकदम कपड़े न उतारें। एक-एक लेयर उतारकर नॉर्मल हो जाएं। इसके अलावा खाने-पीने में अधिक वसायुक्त और मीठी चीजें न लें। नमक और चीनी का सेवन कम करें। ताजे फल-सब्जी को अपने आहार में शामिल करें अधिक ठंड में गुड़, सूप, अदरक-तुलसी की चाय, गरम दूध आदि का सेवन करें। सूखे मेवे भी आपके शरीर को सही पोषण और गर्माहट देंगे।