इस्लामाबाद। देशद्रोह के लिए मौत की सजा पाए पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के समर्थन में सेना के आने के बाद पाकिस्तान सरकार ने आदेश को चुनौती देने का फैसला किया है। मंगलवार को सैन्य तानाशाह मुशर्रफ को छह साल चले मुकदमे उनकी गैरमौजूदगी में मौत की सजा सुनाई गई थी। मुशर्रफ इलाज के लिए अनुमति लेकर 2016 में विदेश गए थे और उसके बाद वापस नहीं लौटे। इस समय वह दुबई में रह रहे हैं।
विशेष अदालत में तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 76 साल के मुशर्रफ के लिए सजा का एलान किया। उन्हें 2007 में संविधान का उल्लंघन कर देश में आपातकाल लागू करने के मामले में दोषी पाया गया। इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने बयान जारी कर कहा कि उसके पूर्व प्रमुख परवेज मुशर्रफ ने कभी भी देश के साथ धोखा नहीं किया। उनके खिलाफ अदालत के ताजा फैसले से पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के जवानों को बहुत दुख हुआ है।
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने कहा कि एक पूर्व सेना प्रमुख, तीनों सेनाओं के प्रमुखों की कमेटी के अध्यक्ष और राष्ट्रपति रहे मुशर्रफ देशद्रोही नहीं हो सकते। उन्होंने 40 साल से ज्यादा पाकिस्तान की सेवा की और देश की रक्षा के लिए कई युद्ध लड़े, उन्हें कैसे धोखेबाज कहा जा सकता है। विशेष अदालत ने कानूनी प्रक्रिया के दौरान इन सभी तथ्यों की अनदेखी की। मामले में बचाव के मूलभूत अधिकार का भी हनन हुआ। सेना की ओर से आए इस बयान से इमरान सरकार पर मामले पर विचार के लिए काफी दबाव बन गया। पाकिस्तान में पहली बार किसी सैन्य प्रशासक के लिए अदालत ने मौत की सजा का एलान किया है।
सेना के इस सार्वजनिक बयान से सतर्क हुए प्रधानमंत्री इमरान खान ने तत्काल अपने दो विश्वस्त अधिकारियों को सैन्य अधिकारियों को समझाने के लिए भेजा। जिनेवा में मौजूद इमरान की ओर से इन अधिकारियों ने सेना को बताया कि सरकार मुशर्रफ के खिलाफ आए इस आदेश को ऊंची अदालत में चुनौती देगी। अटॉर्नी जनरल अनवर मंसूर खान और प्रधानमंत्री की विशेष सहायक फिरदौस आशिक अवान ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस आशय की घोषणा की। खान ने कहा कि आदेश जारी करने का समय भी खुद पर सवाल खड़े करता है। आदेश तब जारी हुआ जब मुशर्रफ दुबई के अस्पताल में चिंताजनक स्थिति में दाखिल हैं और वह इस समय आइसीयू में हैं।