नई दिल्ली। दो बच्चों वाले एक व्यक्ति को दूसरी शादी करना इतना महंगा पड़ा कि उसे अब अपने मकान में अपना हिस्सा बेचकर 60 लाख रुपए दूसरी पत्नी को देने पड़ेंगे। हालांकि, आदेश सशर्त है। ये पैसा पत्नी को तभी मिलेगा, जब वह हिन्दू मैरिज ऐक्ट की धारा 13-बी के तहत आपसी रजामंदी से पति से तलाक लेने की याचिका निर्धारित समय के अंदर कोर्ट में दायर करेगी।
फिलहाल कोर्ट ने पति को चार हफ्ते में छह लाख रुपए कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा करने के आदेश दिए हैं। मामला दिल्ली का है। वर्ष 2004 में शादी करने के साल भर बाद ही पति-पत्नी के रिश्ते खराब हो गए। पत्नी ने घरेलू हिंसा कानून की धारा 12 के तहत याचिका दायर की और साझा वैवाहिक घर में निवास का अधिकार मांगा। महिला कोर्ट ने उसे यह अधिकार दे दिया, लेकिन इस बीच पूर्व पत्नी के दो बच्चों ने बंटवारा वाद दायर किया और कोर्ट ने मकान के तीन हिस्से कर दिए। दो हिस्से दो बच्चों को तथा एक हिस्सा पति के नाम आया।
जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने यह आदेश महिला की अपील पर दिया। कोर्ट ने कहा कि मकान बेचने की यह कार्यवाही तीन माह के अंदर की जाए और पूरा पैसा (करीब पौने दो करोड़ रुपए) शीर्ष कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा किया जाए। इसमें से 60 लाख रुपए कोर्ट तलाक लेने की स्थिति में पत्नी को देगी और शेष दो हिस्से दोनों बच्चों को अदा कर दिए जाएंगे।
पति को कुछ नहीं मिलेगा, उसे सिर्फ अपनी दूसरी पत्नी से तलाक मिलेगा। कोर्ट ने कहा कि पत्नी को दो हफ्ते के अंदर तलाक की याचिका दायर कर आठ हफ्ते के अंदर मकान खाली कर उसका कब्जा पति को सौंपना है ताकि वह उसे बेच सके। तलाक की ये अर्जी दायर करने पर उसे छह लाख अंतरिम राहत के तौर पर दिए जाएंगे।