ढाका। रोहिंग्या शरणार्थियों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब बांग्लादेश में उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है, जिसकी कल्पना भी आपने नहीं की होगी। बांग्लादेश के कॉक्स बाजार स्थित रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों के चारों ओर कंटीले तार वाली बाड़ लगाने का काम शुरू कर दिया गया है।
देश की सुरक्षा का दिया जा रहा हवाला
बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल अजीज अहमद ने रविवार को कहा, ‘बाड़ लगाने का कार्य तेजी से चल रहा है। कंटीले तार लगाने के लिए खंभे गाड़े जा चुके हैं।’ सेना प्रमुख ने बताया कि बांग्लादेश, म्यांमार और भारत से लगती सीमा पर 287 किलोमीटर लंबी सड़क बनाने की योजना पर भी काम कर रहा है। देश में सुरक्षा और कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए बांग्लादेश के गृह मंत्री असदुज्जमान खान ने गत 26 सितंबर को एलान किया था कि रोहिंग्या शिविरों की घेराबंदी की जाएगी।
बांग्लादेश के इस कदम का मानवाधिकार संस्थाओं द्वारा विरोध किया जा रहा है। ह्यूमन राइट्स वाच ने इसे शरणार्थियों के स्वतंत्रता के अधिकार का हनन बताया है। सैन्य कार्रवाई के कारण म्यांमार से भागे सात लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं।
पिछले दिनों म्यांमार ने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आइसीसी) की रोहिंग्याओं के खिलाफ युद्ध अपराधों की जांच की मांग को खारिज कर दिया। ऐसे में म्यांमार पर अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ता जा रहा है, लेकिन अभी तक सरकार झुकी नहीं है। वहीं, हेग स्थित कोर्ट ने गुरुवार को म्यांमार में 2017 की रोहिंग्या समुदाय विरोधी सैन्य कार्रवाई की पूरी जांच करने की स्वीकृति दे दी थी। इसके जवाब में म्यांमार सरकार की प्रवक्ता ने कहा कि आइसीसी द्वारा म्यांमार के खिलाफ जांच करना अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप नहीं है। उन्होंने दोहराया कि म्यांमार की समितियां खुद किसी भी दुर्व्यवहार की जांच करेंगी और यदि आवश्यक हुआ तो जवाबदेही भी सुनिश्चित करेंगी। इससे म्यांमार सरकार के इरादे रोहिंग्याओं को लेकर साफ नजर आ रहे हैं।