लखनऊ. नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर लखनऊ के घंटाघर पर महिलाओं का प्रदर्शन जारी है। तीन दिन पूर्व 14 मार्च को जेल से सशर्त रिहा हुए हिंसा के दो आरोपियों को सम्मानित किया गया। आरोपियों ने पुलिस व सरकार के खिलाफ आपत्तिजनक नारे लगाए। इस दौरान हंगामा बढ़ने पर पुलिस ने धारा 144 का हवाला देकर लोगों शांत करने की कोशिश की तो धक्का-मुक्की की गई। इस मामले में ठाकुरगंज थाने में शायर मुनव्वर राणा की बेटी सुमैया समेत 11 महिलाएं, 11 पुरुष व 150 अज्ञात पर केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने दो मुख्य नामजद आरोपी एबाद खान व आइसा से जुड़े नितिन राज को गिरफ्तार किया है।
ठाकुरगंज थाने के प्रभारी निरीक्षक प्रमोद कुमार मिश्रा के अनुसार- घंटाघर पर प्रदर्शनकारी महिलाओं ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। घंटाघर की सीढ़ियों पर कब्जा करके उसकी दीवारों को क्षतिग्रस्त कर कील, काटियां ठोंककर बैनर-पोस्टर लगाए गए हैं। इस प्रदर्शन में पुरुष भी शामिल होते हैं, जो सरकार व प्रशासन के खिलाफ आपत्तिजनक नारे लगाते हैं। प्रदर्शनकारियों की संख्या अधिक होने पर सड़क पर जाम की स्थिति पैदा होती है। घंटाघर के आसपास के पार्कों व पर्यावरण को प्रभावित किया जा रहा है। देश विदेश से आने वाले पर्यटकों के साथ मारपीट व लूटपाट की घटनाएं की जाती हैं। ऐसी कुछ शिकायतें विवेचनाधीन हैं। पुलिस ने आरोपियों पर आईपीसी की धारा 145, 147, 149, 188, 283, 353, 427, 505 व 7 क्रिमिनल एक्ट, 66 आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।
नितिन और एबाद ने लगाए थे उत्तेजक नारे
ठाकुरगंज पुलिस में एबाद खान और नितिन राज को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बताया- हजरतगंज हिंसा में जेल गए एबाद खान को संविधान सेनानी बताकर घंटाघर पर 14 मार्च को सम्मानित किया गया था। दूसरा आरोपी नितिन राज आइसा का सक्रिय नेता उत्तेजक नारे लगा रहा था। बीते 7 दिनों में 27 आरोपी गिरफ्तार किये जा चुके हैं। प्रदर्शनकारियों को पर्दे के पीछे से मदद करने वालों पर जल्द शिकंजा कसा जाएगा। ऐसे लोगों को पुलिस चिन्हित कर रही हैं।
27 पर गैंगस्टर की हुई थी कार्रवाई
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ 19 दिसंबर को हुई आगजनी, तोड़फोड़ और पथराव के मामले में बीते शुक्रवार को 27 उपद्रवियों के खिलाफ गैंगस्टर ऐक्ट की कार्रवाई की गई थी। पुलिस ने उपद्रव के मामले में 30 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिसमें कुछ लोग अभी जेल में हैं तो कुछ जमानत पर बाहर हैं।