लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है, कि कोरोना के संकट काल में बेरोजगारी के साथ असुरक्षा का दंश झेल रहे श्रमिकों के प्रति भाजपा सरकार का रवैया संवेदनशून्य और अमानवीय है। उनके साथ दूसरे दर्जे के नागरिक के रूप में व्यवहार किया जा रहा है, क्योंकि वे गरीब, कमजोर और असहाय हैं। अमीरों को विदेश से वापस लाने का रिकार्ड बनाने की चाह रखने वाली भाजपा सरकारें अगर गरीबों को भी मुफ्त में वापस घर पहुंचाने का रिकार्ड बनाएं तो कितना अच्छा हो।
अखिलेश यादव ने कहा कि सूरत से लौटे श्रमिकों के अनुसार उनसे 800 रूपए लिए गए और भोजन-पानी नहीं दिया गया। गुजरात से आ रहे उत्तर प्रदेश के श्रमिकों का भी कहना है कि उनकी लगातार लूट जारी है। यहां के श्रमिक भी मंहगा टिकट खरीदकर भूखे पेट पहुंचे। ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा सरकार ने भारतीय नागरिकता भी गरीब-अमीर में बांटकर वैसे ही लाॅकडाउन में राहत देने के इंतजाम किए हैं।
उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर हजारों की संख्या में कामगारों को प्रशासन द्वारा रोकना, जो सैकड़ों मिलोमीटर पैदल चलकर आये हैं, उनके साथ दुव्र्यवहार करना और वे सभी दो-तीन दिन से भूखें-प्यासे हैं और भाजपा सरकार सच्चाई का सामना करने से डरती है। सैकड़ों कोस चलकर आये लाखों की संख्या में कामगारों का भविष्य शासन की अदूरदर्शिता के कारण अंधेरे में गुम हो गया है। इस सच्चाई को स्वीकार करने में भाजपा अपनी पराजय समझती है। जनता को पराजित करना भाजपा अपनी बहादुरी समझती है।
नोटबंदी और जीएसटी की अचानक घोषणाओं की तरह प्रधानमंत्री जी ने लाॅकडाउन की भी अकस्मात घोषणा कर देश में विस्थापन और पलायन की जो स्थिति पैदा कर दी है उससे देश अव्यवस्था और असुरक्षा के चक्र में बुरी तरह फंस गया है। कितने ही श्रमिकों की जानें चली गई हैं। भूख-प्यास से दम तोड़ने की भी खबरें आ रही है। भाजपा अमीरों को राहत देने में लगी है। गरीब सड़क पर रेल पटरियों पर जान गंवा रहा है। भाजपा की वोट बैंक की राजनीति का यह खेल लोकतंत्र को कलंकित करने वाला है।