कोलंबो । श्रीलंका के 72वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में तमिल भाषा में राष्ट्रगान नहीं होगा। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रगान केवल सिंहली भाषा में होगा। सरकार के इस कदम को बहुसंख्यक सिंहली समुदाय को प्राथमिकता दिए जाने के तौर पर देखा जा रहा है।
वर्ष 2015 में तत्कालीन श्रीलंका सरकार ने तमिल अल्पसंख्यक समुदाय से सामंजस्य स्थापित करने के लिए स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान तमिल राष्ट्रगान को भी शामिल किया था। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने नवंबर में अपने शपथ ग्रहण समारोह के बाद बौद्ध धर्म को प्राथमिकता देने की बात कही थी। श्रीलंका की 2.1 करोड़ की आबादी में बौद्ध धर्म को मानने वाले सिंहली बहुसंख्यक है। देश में 12 फीसद हिंदू हैं, जिनमें ज्यादातर तमिल मूल के हैं। श्रीलंका का संविधान सिंहली और तमिल दोनों में ही राष्ट्रगान की अनुमति देता है। राष्ट्रगान का तमिल संस्करण ‘श्रीलंका थये’ सिंहली भाषा के ‘नमो-नमो माता’ का अनुवाद है।
तमिलों के राष्ट्रीय स्तर के नेता मनो गणेशन ने कहा कि तमिल राष्ट्रगान तमिल भाषी समुदाय की पहचान है। गृह राज्य मंत्री मनिंदा समरसिंघे ने पिछले सप्ताह कहा था कि स्वतंत्रता दिवस के मुख्य समारोह में राष्ट्रगान केवल सिंहली में होगा, लेकिन राज्यस्तरीय समारोहों में राष्ट्रगान के तमिल संस्करण की अनुमति होगी।