गोल्ड लोन को आमूमन कोलैटरल लोन माना जाता है और इसके लिए सिबिल स्कोर खास जरूरी नहीं होता है, क्योंकि इसमें जोखिम नहीं रहता है। लेकिन, आरबीआई ने 31 मार्च, 2021 तक कर्ज और सोने की मूल्य का अनुपात (एलटीवी) बढ़ाने के फैसले से सिबिल स्कोर की भूमिका अहम हो जाएगी। एलटीवी बढ़ाने का मतलब है कि ग्राहक अपने सोने की कीमत का 90 फीसदी तक कर्ज बैंक या वित्तीय संस्थान से ले सकेंगे। पहले यह सीमा 75 फीसदी थी। बैंकिंग विशेषज्ञों की मानें तो केंद्रीय बैंक ने भले ही सुविधा दी है, लेकिन कोविड-19 के कारण बने हालात और सोने की आसमान छूती कीमतों को देखते हुए 90 फीसदी कर्ज पाना आसान नहीं होगा। सिर्फ उन्हीं ग्राहकों को 90 फीसदी कर्ज मिलेगा, जिनकी भुगतान क्षमता के साथ सिबिल स्कोर बेहतर होगा।
पर्सनल लोन से काफी सस्ता
बैंकबाजार डॉ़टकॉम के मुताबिक, ग्राहक गोल्ड लोन तभी लेता है जब उसे कम अवधि के लिए पैसे की जरूरत है और वित्तपोषण का दूसरा विकल्प न हो। यह लोन आप ईएमआई से चुका सकते हैं या बैंक खाते में ओवरड्राफ्ट बनाकर जरूरत के अनुसार खर्च कर सकते हैं। खास बात है कि यह पर्सनल लोन से काफी सस्ता भी होता है।
90 फीसदी कर्ज पाना आसान नहीं
आरबीआई के फैसले के अनुसार, अगर कर्जदाता सोने की कीमत की 90 फीसदी राशि का कर्ज मंजूर करेगा तो उसके पास सिर्फ 10 फीसदी मार्जिन बचेगा। यह सोने की कीमतों में अस्थिरता को देखते हुए काफी कम है। से में ग्राहकों के लिए सोने की कीमत का 90 फीसदी तक कर्ज पाना आसान नहीं होगा। मौजूदा हालात को देखते हुए कर्जदाता अधिकतम 80 फीसदी तक कर्ज दे सकते हैं।
लोन का उद्देश्य तय करेगा योग्यता
सिबिल स्कोर के अलावा पर्पज ऑफ लोन भी तय करेगा कि बैंक सोने की कीमत का कितना कर्ज देंगे। मान लीजिए, आप टूर एंड ट्रैवल्स कारोबार के लिए गोल्ड लोन अप्लाई करते हैं तो 90 फीसदी कर्ज नहीं मिलेगा क्योंकि छह महीने तक कारोबार में तेजी नहीं आनी है। खाने-पीने या आईटी कारोबार के लिए 90 फीसदी कर्ज मिलना संभव है क्योंकि महामारी के बाद इसमें बड़ा उछाल आएगा।