तेहरान। ईरान ने प्रमुख मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद सभी अमेरिकी सुरक्षा बलों को आतंकी घोषित कर दिया है। ईरान की संसद ने मंगलवार को एक बिल पारित किया, जिसमें सभी अमेरिकी बलों को ‘आतंकवादी’ घोषित कर दिया गया है। बता दें कि अमेरिका द्वारा बगदाद एयरपोर्ट पर एक एयर स्ट्राइक की गई, जिसमें सुलेमानी की मौत हो गई। सुलेमानी का काफिला बगदाद एयरपोर्ट की ओर बढ़ रहा था तभी एक रॉकेट हमले की जद में आ गया। हमले में ईरान अबू महदी अल-मुहांदिस की भी मौत हो गई। अधिकारियों ने बताया कि हमले में कुल आठ लोगों की मौत हुई।
सुलेमानी पश्चिम एशिया में ईरानी गतिविधियों को चलाने के प्रमुख रणनीतिकार थे। सुलेमानी पर इजरायल में भी रॉकेट हमलों को अंजाम देने का आरोप था। व्हाइट हाउस का कहना था कि जनरल सुलेमानी सक्रिय रूप से इराक में अमेरिकी राजनयिकों और सैन्य कर्मियों पर हमले की योजना बना रहा था।
बता दें कि ईरान के साथ इराक में अमेरिका के इस हमले का काफी विरोध हुआ। लोग सड़कों पर थे। इस हमले में ईरान समर्थित मिलिशिया पॉपुलर मोबलाइजेशन फोर्स के डिप्टी कमांडर अबू महदी अल-मुहांदिस की भी मौत हुई थी। जहां सोमवार को इराक के आउटगोइंग पीएम अबदुल मेहदी ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि देश में मौजूद विदेशी सेना को बाहर किया जाए। हालांकि, यह प्रस्ताव सदन में पास किया जा चुका है।
पीएम अबदुल मेहदी ने ईरान के टॉप मिलिट्री कमांडर और देश के दूसरे सबसे बड़े ताकतवर व्यक्ति कासिम सुलेमानी की हत्या को राजनीतिक हत्या करार देते हुए कहा कि अमेरिकी फौज को इराक में किसी भी तरह का मिलिट्री एक्शन लेने का अधिकार नहीं है। उनका कहना था कि इराक में अमेरिकी सेना इराकियों की सुरक्षा के लिए रखी गई है न कि इसलिए की इराकी उन्हें सुरक्षा दें। इराक की मदद के नाम पर अमेरिका द्वारा कासिम और मुहेदी की हत्या को इराक किसी भी सूरत से कुबूल नहीं कर सकता है।
इराक की धरती पर अमेरिकी ड्रोन हमले में शीर्ष ईरानी कमांडर सुलेमानी के मारे जाने के बाद संसद का विशेष सत्र बुलाया गया था। पारित प्रस्ताव में सरकार से आग्रह किया गया है कि वह अमेरिका के नेतृत्व में गठबंधन सेनाओं की सहायता लेने के लिए किए गए समझौते को रद करे।
अमेरिकी सेना को वापस भेजने का प्रस्ताव पास होते ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसे लेकर भड़क उठे। ट्रंप ने रविवार को धमकी देते हुए कहा है कि अगर इराक ने अमेरिकी सेना को वापस जाने के लिए बाध्य किया तो हम उसपर कठोर प्रतिबंध लगाएंगे।
बता दें कि इराक में इस समय लगभग पांच हजार अमेरिकी सैनिक हैं, जो मुख्य रूप से स्थानीय सुरक्षा बलों को प्रशिक्षण देने और सलाहकार की भूमिका निभाते हैं। अमेरिका और ईरान के बीच दशकों पुरानी दुश्मनी है। इसके बावजूद इराक में ईरान समर्थित मिलिशिया आइएस के खिलाफ लड़ाई में अमेरिकी सेना का साथ दे रहे थे। लेकिन सुलेमानी की मौत के बाद इराक में हालात बदल गए हैं। उनके विरोधी भी अमेरिकी कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं। उन्हें डर है कि इस घटना से कहीं उनका देश युद्ध का अखाड़ा न बन जाए।