लखनऊ। पूर्वांचल के प्रसिद्ध सूर्य उपासना के महापर्व छठ को लेकर तैयारियां शुरू हो गईं हैं। छठ घाट की सफाई के साथ ही छठ मइया के प्रतीक सुसुबिता को बनाने व रंगरोगन का काम अंतिम चरण में पहुंच गया है। राजधानी के लक्ष्मण मेला स्थल के छठ घाट पर होने वाले मुख्य आयोजन को लेकर विशेष सतर्कता बरती जा रही है। अखिल भारतीय भाेजपुरी समाज की ओर से पिछले 37 वर्षों से होने वाले आयोजन में 10 और 11 नवंबर को सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। समाज के अध्यक्ष प्रभुनाथ राय ने बताया कि चार दिवसीय महापर्व की शुरुआत नहायखाय से आठ नवंबर से होगी। नौ को छोटी छठ और मुख्य पर्व 10 और 11 नवंबर को होगा। कोरोना संक्रमण के चलते स्थल पर वैक्सीनेशन शिविर लगाया जाएगा। उन्होंने वैक्सीन की दो डोज लगवाने वाले को ही पूजन में शामिल होने की अपील की है।
मनकामेश्वर उपवन घाट पर छठ पूजा होगी। महंत देव्या गिरि के सानिध्य में सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। ओम ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष धनंजय द्विवेदी के संयोजन में खदरा के शिव मंदिर घाट पर पूजन होगा। पक्कापुल स्थित छठ घाट, श्री खाटू श्याम मंदिर घाट, पंचमुखी हनुमान मंदिर घाट के अलावा महानगर पीएसी 35वीं बटालियन, मवैया रेलवे काॅलोनी, कृष्णानगर के मानसनगर स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर परिसर के साथ ही छोटी व बड़ी नहर के अलावा हर इलाके में घरों में पूजा होगी।
सूर्य उपासना के इस पर्व को लेकर बाजार में भी तैयारियां शुरू हो गई हैं। पूजन में मौसमी फल सरीफा केला, अमरुद, सेब, अनन्नास, सूथनी हल्दी, अदरक, सिंघाड़ा, सूप व गन्ने का प्रयोग होता है। बांस की टोकरी में व्रती के पति या बेटा बांस की टोकरी में 6, 12 व 24 की संख्या में फल रखकर घाट तक जाते हैं। छठ गीतों के साथ परिवार के लोग भी व्रती के साथ जाते हैं। 36 घंटे के निर्जला व्रत का समापन 11 को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर होगा। कुछ स्थानों पर इसे डाला छठ भी कहते है। आलमबाग, निशातगंज, इंदिरानगर व राजाजीपुरम सहित सभी बाजारों में दुकानदार तैयारियों में जुटे हैं।
आठ नवंबर नहाय खाय: आदिलनगर निवासी रंजना सिंह ने बताया कि इस दिन व्रती महिलाएं पूजन में प्रयोग होने वाली सामग्री की खरीदारी के साथ सफाई करती हैं। रसोई पूरी तरह से साफ की जाती है। दिनभर व्रत रहती हैं और शाम को लौकी की सब्जी व रोटी का सेवन करती हैं।
नौ नवंबर को रसियाव व छोटी छठ: मानसनगर की कलावती ने बताया कि इस दिन ठेकुआ बनाया जाता है। पूजन की पूरी तैयारी की जाती है। इसे छोटी छठ व खरना भी कहते हैं। कुछ महिलाएं इस दिन भी अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर उपासना करती हैं। शाम को व्रती साठी के चावल व गुड़ की बनी खीर रसियाव का सेवन करके 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करती हैं।
10 नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य: उदय सिंह ने बताया कि इस दिन मुख्य पर्व होता है। व्रती नदी व तालाब तक जाकर पानी में खड़ी होकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देती हैं। छठ गीतों से गुंजायमान वातावरण के बीच पूजन हाेता है। छठ मइया के प्रतीक सुसुबिता के पास बैठकर कलश स्थापित कर पूजन किया जाता है।
11 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य: मानसनगर के अखिलेश सिंह ने बताया कि उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए भोर में ही व्रती उसी स्थान पर फिर जाती हैं और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देती हैं। छठ गीतों के साथ घाट से घर आती हैं। प्रसाद वितरण के बाद ही खुद व्रत तोड़ती हैं। इसी के साथ व्रत का समापन होता है।