लखनऊ। उत्तर प्रदेश में धुंध तथा कोहरे के कारण लोग भले ही दशक का आखिरी सूर्य ग्रहण नहीं देख सके, लेकिन ग्रहण समाप्त होते ही नदियों के किनारे स्नान करने एकत्र हो गए। माना जाता है कि ग्रहणकाल बीत जाने के बाद नदी या सरोवर स्नान के बाद दान करना महत्वपूर्ण होता है।
देश के कई हिस्सों में गुरुवार की सुबह सूर्य ग्रहण देखा गया। इसके बाद वाराणसी, प्रयागराज, गढमुक्तेश्वर तथा कानपुर व फर्रुखाबाद में गंगा के किनारे भारी भीड़ उमड़ पड़ी। गुरुवार को साल 2019 का आखिरी सूर्यग्रहण खत्म हो चुका है। सूर्यग्रहण सुबह 8 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 57 मिनट तक चला। खंडग्रास सूर्यग्रहण पौष मास की अमावस्या पर लगा है।
प्रयागराज में गुरुवार को सूर्यग्रहण खत्म होते ही लोग संगम तट पर पहुंच गए। यहां पर पवित्र गंगा में स्नान तथा दान का सिलसिला शुरू हो गया। आज संगम पर स्नान के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटे। भयंकर ठंड के बाद भी स्नान करने भारी भीड़ उमड़ी।
वाराणसी में घाटों पर हुजूम उमड़ पड़ा। हर घाट पर मेला सा नजारा लग रहा था। गुरुवार को बीएचयू के साथ ही अन्य जगहों पर भी वैज्ञानिकों ने अपने यंत्रों के सहारे सूर्यग्रहण देखने के लिए कोशिश की मगर कोई भी जतन काम नहीं आया।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार उत्तर भारत में खंडग्रास व दक्षिण भारत में कंकणाकृति जैसा दिखने वाला सूर्यग्रहण मौसम और प्राकृतिक उथल पुथल का गवाह बनेगा।