तमिलनाडु। तमिलनाडु में लगातार भारी बारिश की वजह से बाढ़ के हालात हो गए हैं। अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच मद्रास हाई कोर्ट ने मंगलवार को ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन को कड़ी फटकार लगाई है। शहर में बाढ़ को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं करने को लेकर कोर्ट ने कहा, ‘आधे साल हमें पानी के लिए रोना पड़ता है और आधे साल के लिए हमें पानी में मरने के लिए मजबूर किया जाता है।’
मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति पीडी ऑडिकेसवालु की पहली पीठ ने राज्य में बाढ़ की स्थिति को लेकर आश्चर्य जताया और कहा कि 2015 के बाद आई बाढ़ के बाद से पिछले पांच वर्षों में अधिकारी क्या कर रहे थे। उन्होंने क्यों नहीं कोई ठोस कदम उठाए? इतना ही नहीं, पीठ ने स्थिति को नियंत्रण में नहीं करने पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्यवाही शुरू करने की भी चेतावनी दी है। राज्य में अभी भी भारी बारिश की संभावना है। इस बीच मौसम विभाग ने 14 नवंबर तक नीलगिरी, कोयंबटूर, डिंडीगुल, थेनी, तेनकासी और तिरुनेलवेली सहित 14 जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।
चेन्नई में ज्यादातर सड़कें और सबवे पानी भर जाने के कारण अब भी बंद हैं। कई मार्गों पर वाहनों को दूसरे रास्तों की ओर मोड़ा जा रहा है, जिससे लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सात नवंबर को सुबह आठ बजकर 30 मिनट से आठ नवंबर को सुबह आठ बजकर 30 मिनट तक यहां और उपनगरीय इलाकों में चार से 14 सेमी बारिश हुई। वहीं तिरुवन्नामलई, कांचीपुरम और कुड्डालोर समेत अन्य इलाकों में तीन सेमी तक बारिश हुई। लगातार दूसरे दिन मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने प्रभावित इलाकों का निरीक्षण किया और रोयापुरम इलाके में प्रभावित लोगों को बाढ़ राहत सहायता प्रदान की।
पानी की निकासी के लिए ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन ने 23,000 कर्मियों को तैनात किया है। स्टालिन ने 15 निगम क्षेत्रों में राहत कार्यों की निगरानी के लिए 15 आईएएस अधिकारियों को नियुक्त किया है। बारिश से 16 मेट्रो सबवे में पानी भर गया है और अब तक 14 में से पानी निकाल दिया गया है। राज्य के कुछ हिस्सों में निचले इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए अलर्ट जारी किया गया है। चेन्नई में 48 राहत शिविरों में 1,107 लोगों को भेजकर कुल 3,50,000 से अधिक भोजन के पैकेट उपलब्ध कराए गए हैं।