कच्ची शराब की फर्जी बरामदगी दिखाने व छोड़ने के बदले रिश्वत लेने के एक मामले में बस्ती जनपद के मुंडेरवा थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष गजेंद्र राय फंस गए हैं। इस मामले में पांच और पुलिस कर्मी आरोपित किए गए हैं। भ्रष्टाचार निवारण संगठन की गोरखपुर इकाई के निरीक्षक चंद्रेश यादव की तरफ से रविवार को बस्ती के मुंडेरवा थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है। यह प्रकरण वर्ष 2012 का है। थाना प्रभारी सुशील कुमार ने बाया कि भ्रष्टाचार निवारण संगठन इकाई गोरखपुर के निरीक्षक चंद्रेश यादव की तहरीर पर गलत तरीके से फंसाना, लोक सेवक का विधि विरुद्ध आचरण, फर्जी साक्ष्य, गलत तरीके से संपत्ति जब्त करने सहित अन्य धाराओं में गजेंद्र राय समेत छह पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। वर्तमान में गजेंद्र राय की तैनाती संतकबीरनगर जिले में है। फर्जी मामले में फंसाए गए लोगों की शिकायत पर पुलिस उप महानिरीक्षक लोक शिकायत स्तर से इसकी जांच भ्रष्टाचार निवारण संगठन की गोरखपुर इकाई को सौंपी थी। सात साल तक चली जांच के बाद सच सामने आया है। जांच रिपोर्ट के आधार पर विजिलेंस इंस्पेक्टर चंद्रेश यादव ने मुकदमा दर्ज कराया है। तहरीर में बताया गया है 12 जून 2012 को हटवा गांव में पुलिस ने दबिश देकर कच्ची शराब की बरामदगी दिखाते हुए आबकारी एक्ट का मुकदमा दर्ज किया गया था। बाद में फर्जी मुचलका तैयार कराकर सादे कागज पर आरोपितों के हस्ताक्षर करा लिए गए। छोड़ने के बदले इनसे छह हजार रुपये रिश्वत ली गई। उस समय गजेंद्र राय मुंडेरवा के थानाध्यक्ष थे। फर्जीवाड़े में गजेन्द्र राय के साथ तत्कालीन उप निरीक्षक पारसनाथ सिंह यादव, कांस्टेबल राजमंगल यादव, जयप्रकाश राय, रिक्रूट आरक्षी श्रवण कुमार और एसआई योगेश कुमार सिंह भी शामिल रहे। आरोपित तत्कालीन एसआई पारसनाथ सेवानिवृत्त हो चुके हैं।