नई दिल्ली. न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ की कोरोनावायरस और धार्मिक आयोजनों से जुड़ी एक खबर के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने पोर्टल के संस्थापक संपादकों में से एक सिद्धार्थ वरदराजन के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया है। योगी आदित्यनाथ सरकार की इस कार्रवाई का देशभर के 3 हजार 500 से ज्यादा बुद्धिजीवियों ने विरोध किया है। इनमें कानूनविद, शिक्षाविद, अभिनेता, कलाकार और लेखक शामिल हैं। इन्होंने कहा है कि यह प्रेस की आजादी पर सीधा हमला है।
इस कार्रवाई के विरोध में जारी बयान पर दस्तखत करने वालों ने कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार को सिद्धार्थ वरदराजन और द वायर के खिलाफ दर्ज एफआईआर वापस लेनी चाहिए। इस बयान में केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों से अनुरोध किया गया है कि प्रेस की आजादी को कुचलने के लिए किसी महामारी की आड़ न लें। किसी तरह की पॉलिटिकल इमरजेंसी थोंपने के लिए मेडिकल इमरजेंसी का बहाना न बनाया जाए।
एक लेख के बाद एफआईआर दर्ज हुई
द वायर में तबलीगी जमात से जुड़े एक लेख में कहा गया था कि भारतीय धर्म उपासक एहतियात बरतने के मामले में पीछे रहते हैं। इसी के साथ यह बताया गया था कि कैसे देशभर में कोरोना के माहौल के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार की 18 मार्च एक धार्मिक मेला कराने की योजना थी। इसी लेख के बाद अयोध्या और फैजाबाद में 1 अप्रैल को दो एफआईआर दर्ज हुई थीं।
दो पूर्व नौसेना प्रमुखों और पूर्व विदेश सचिवों ने भी कार्रवाई का विरोध किया
बयान पर दस्तखत करने वालों में सुप्रीम कोर्ट के जज रहे जस्टिस मदन बी लोकुर, मद्रास हाईकोर्ट के जज रहे जस्टिस के. चंद्रू और पटना हाईकोर्ट की पूर्व जज जस्टिस अंजना प्रकाश शामिल हैं। दो पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल रामदास और एडमिरल विष्णु भागवत ने भी इस पत्र पर दस्तखत किए हैं। पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा, पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन और सुजाता सिंह व पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एमएस गिल ने भी वरदराजन पर हुई कार्रवाई पर विरोध जताया है। बयान पर दस्तखत करने वालों में लेखक विक्रम सेठ, नयनतारा सहगल, अरुंधति रॉय, अनिता देसाई, के. सच्चिदानंदन और किरण देसाई शामिल हैं। अमोल पालेकर, नसीरुद्दीन शाह, नंदिता दास, फरहान अख्तर और मल्लिका साराभाई जैसे कलाकारों ने भी वरदराजन पर हुई कार्रवाई का विरोध किया है।