वॉशिंगटन. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि देश के सैन्य बेसों का नाम नहीं बदला जाएगा। उन्होंने कहा कि इस पर सोचा तक नहीं जाएगा, ये महान अमेरिकी विरासत हैं। अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के बाद अश्वेतों के समर्थन में हो रहे प्रदर्शन जारी हैं। कुछ लोग इन बेसों का नाम अमेरिकी अफसरों के नाम पर रखने को नस्लभेदी बता रहे हैं। ऐसे में अटकलें थी कि सरकार अमेरिकन सिविल वॉर में लड़ने वाले कॉन्फेडरेट आर्मी जनरल के नाम वाले सैन्य बेसों का नाम बदल सकती है।
ट्रम्प ने ट्वीट किया, ‘अमेरिकी अफसरों के नाम वाले सैन्य बेस हमारी विरासत का हिस्सा हैं। ये हमारी जीत और आजादी के इतिहास का सिंबल हैं। दुनिया के महान देश के तौर पर हमारे इतिहास और सेना के सम्मान से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।’’
कन्फेडरेट सैन्य अफसरों की मूर्तियां नफरत फैलाने वाली: पेलोसी
अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने बुधवार को कन्फेडरेट सैन्य अफसरों की मूर्तियां हटाने की मांग की। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों से जुड़ी धरोहर नहीं होने चाहिए, जिन्होंने सिर्फ नस्लभेद करने के लिए क्रूरता को सही ठहराया। उनकी मूर्तियां नफरत को याद दिलाने वाली हैं, विरासत नहीं। इन्हें हटाया जाना चाहिए।
क्यों उठ रही है मांग?
अमेरिका में 1861 से 1865 के बीच सिविल वॉर हुआ था। यह दक्षिणी राज्यों और उत्तरी राज्यों के बीच था। दक्षिणी राज्य को उस समय कन्फेडरेट स्टेट्स ऑफ अमेरिका कहा जाता था। कन्फेडरेट चाहते थे कि दक्षिणी राज्यों में नस्लभेद बरकरार रहे। वहां अश्वेत गुलामों की खरीद बिक्री की आजादी हो, जबकि उत्तर राज्य इन राज्यों को दास प्रथा से मुक्त करना चाहते थे।