कोरोना संक्रमण की त्रासदी में कमी के साथ बंद हुए शादी विवाह जैसे आयोजन एक बार फिर शुरू होंगे। सीमित शादियों के शुभ लग्न होने के कारण एक दिन में कई शादियों के होने की संभावना है। लखनऊ में फरवरी तक सभी शादी घरों की बुकिंग पूरी हो चुकी है। एक स्थान पर कई शादियां होंगी। तुलसी विवाह के साथ ही 15 नवंबर से शादियां शुरू होंगी। हालांकि, शुभ मुहूर्त 20 से शुरू हो रहा है।
कार्तिक शुक्ल एकादशी को देवोत्थानी और प्रबोधिनी एकादशी भी होगी। इस दिन चातुर्मास समाप्त होता है। इस दिन भगवान विष्णु जो क्षीर-सागर में योग निद्रा में थे, वह जागते हैं। हरि के जागने के बाद से ही सभी मांगलिक कार्य शुरू किए जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और तुलसी की विशेष पूजा और व्रत किया जाता है। तुलसी का विवाह शालिग्राम से किया जाता है। व्रती स्त्रियां इस दिन प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर आंगन में चौक पूरकर भगवान विष्णु के चरणों को कलात्मक रूप से अंकित करती है।
तुलसी विवाह उत्सव भी शुरू होता हैं। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है 15 जुलाई के बाद रुके हुए विवाह आदि मांगलिक कार्य 15 नवंबर से शुरू हो जाएंगे। 13 दिसंबर तक विवाह के लग्न होगे। 16 दिसंबर से सूर्य की धनु संक्रांति के कारण खरमास शुरू हो जाएंगे। उसमें भी विवाह सहित अन्य शुभ कार्य नहीं होते है। उसके बाद मकर संक्रांति के बाद 15 जनवरी 2022 से मांगलिक कार्य की शुरुआत होगी।
शुभ विवाह मुर्हूत
नवंबर- 20, 21, 26, 27, 28, 29 व 30 ।
दिसंबर- 1, 2, 5, 7, 12 व 13।
अगले साल के शुभ विवाह मुर्हूत
जनवरी- 15, 20, 21, 22, 23, 24 25, 26, 27, 28 व 29।
फरवरी- 4, 5, 6, 9, 10, 11,16,17,18 व 19।
अप्रैल- 15, 16,17,18,19, 20, 21, 22, 23 व 27।
गन्ने की करें पूजा होगी पूजाः कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को हरि प्रबोधिनी देवोत्थान एकादशी के नाम से जाना जाता है । इस वर्ष सोमवार के दिन कार्तिक शुक्ल एकादशी है। सुबह 8:52 तक भद्रा है।भद्रा के पश्चात् गन्ने के खेत में जाकर गन्ने की पूजा कर स्वयं भी सेवन करें।आचार्य राकेश पांडेय ने बताया कि एकादशी व्रती को चाहिए की दशमी के दिन एकाहार करें उस दिन तेल के जगह घी का प्रयोग करें। नमक में सेंधा,अन्न में गेहू का आटा व शाक में वहुविजी का परित्याग करें। रात्रि काल में आहार लेने के पश्चात शेषसायी भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए शयन करें। मंगलवार को सुबह 9:16 बजे व्रत का पारण करें।