मुरादाबाद। यूपी में कांग्रेस की प्रभारी प्रियंका वाड्रा बूंदाबांदी से गिरे तापमान के बीच भाजपा-सपा और बसपा को निशाना बनाकर सियासी पारा बढ़ा गईं। सपा और रालोद तीन कृषि सुधार बिलों की वापसी के बाद भी मुस्लिम-जाटों के वोटों के सहारे सियासी नैया पार लगाना चाहती हैं। लेकिन, कांग्रेस भी किसान आंदोलन को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। दिल्ली में राहुल गांधी का किसानों के साथ ट्रैक्टर चलाए जाने से लेकर कई ऐसे मौके आए हैं, जिसमें कांग्रेस नेता कृषि कानूनों को लेकर सरकार से लड़ते रहे हैं।
पश्चिमी यूपी के जिलों में करीब 136 विधानसभा सीटें हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इनमें से 108 सीटें जीती थीं। पिछले एक साल से तीन कृषि कानूनों की वापसी को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के किसान आंदोलन कर रहे थे। भाजपा सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेकर किसानों के नजदीक जाने का प्रयास किया है। लेकिन, किसान संगठन अब न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाने के लिए अड़े हैं। राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी को भी किसान आंदोलन के दौरान भाजपा से नाराज होने वाले जाटों का समर्थन मिलने की उम्मीद है। सपा जयंत चौधरी की पार्टी से गठबंधन करके जाट-मुस्लिम वोटों के सहारे पश्चिम में अपनी पकड़ मजबूत बनाना चाहती है। गुरुवार को प्रियंका वाड्रा ने मुरादाबाद में आयोजित प्रतिज्ञा रैली में कांग्रेस को किसानों का हितैषी बताने के लिए हर प्रयास किया। कहा लड़ोगे नहीं तो जीताेगे कैसे। कांग्रेस किसानों के साथ खड़ी रही। नतीजा सरकार को झुकना पड़ा और तीनों कृषि कानून वापस हो गए। खाद की समस्या पर भी प्रियंका ने लोगों से सीधी बात की। किसानों के कर्जा माफ कराने का वचन दिया। कहा कि दस्तकारों और बुनकरों के लिए भी कांग्रेस ने कई योजनाएं बनाई हैं। सरकार आने पर बिजली हाफ करने का वादा किया।
हमने लड़़ी, जनता की लड़ाई : प्रियंका वाड्रा महिलाओं में जोश भर गईं। कहा है कि महिलाओं की शक्ति को सियासी दल समझ नहीं पा रहे हैं। महिलाओं की राजनीति में भागेदारी बहुत कम है। भागीदारी नहीं होगी तो महिलाएं सशक्त कैसे बनेंगी। उन्होंने कहा कि महिलाओं की 50 फीसद आबादी खड़ी है। जिस दिन खड़ी हो गईं सांप्रदायिकता और जातिवाद की राजनीति खत्म हो जाएगी। प्रियंका ने कहा कि भाजपा ने किसानों का रोज अपमान किया है। कभी आतंकवादी, कभी खालिस्तानी कहा। लेकिन, चुनाव आते ही प्रधानमंत्री कहने लगे मुझे माफ कर दो। माफी मांगने के बाद भी पीएम से हिसाब मांगना चाहिए। सपा और बसपा ने जाति और धर्म की राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। सपा में गुंडई, बसपा में लूटकर खाने वाले बहुत हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव प्रियंका वाड्रा के सीधे निशाने पर रहे। उन्होंने जितनी बातें भाजपा के लिए कहीं, उतनी सपा के लिए भी थीं।