नई दिल्ली। कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मास्टरमाइंड विकास दुबे ओर उसके सहयोगियों के एनकाउंटर की जांच को लोकर सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल है। इस मामले में सुनवाई करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हैदराबाद में डॉक्टर से रेप करने वालों के एनकाउंटर से यह अलग है। उनके हाथ में हथियार नहीं थे। साथ ही कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार कानून का शासन बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है। इसमें गिरफ्तारी, मुकदमे और सजा की आवश्यकता है।
यूपी डीजीपी का प्रतिनिधित्व करने वाले हरीश साल्वे ने सुनवाई के दौरान कहा कि तेलंगाना एनकाउंटर से यह अलग है। यहां तक कि पुलिसकर्मियों के भी मौलिक अधिकार हैं। क्या पुलिस पर अत्यधिक बल का आरोप लगाया जा सकता है, जब वह एक खूंखार अपराधी के साथ लाइव मुठभेड़ में हो? सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि यह इकलौती घटना नहीं है जो दांव पर है। पूरी व्यवस्था दांव पर है।
विकास दुबे मुठभेड़ केस में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक राज्य के तौर पर आपको विधि का शासन बनाए रखना होगा, ऐसा करना आपका कर्तव्य है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से जांच समिति में शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश और एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी को शामिल करने पर विचार करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि किसी मौजूदा न्यायाधीश को जांच समिति का हिस्सा बनने के लिए उपलब्ध नहीं करा सकते।